लोक अदालत का दूसरा प्रकार स्थायी लोक अदालत है। इसका आयोजन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 22-बी के अंतर्गत किया जाता है। स्थायी लोक अदालतें एक अध्यक्ष और दो सदस्यों वाली स्थायी संस्थाओं के रूप में स्थापित की गई हैं ताकि परिवहन, डाक, तार आदि जैसी जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित मामलों के सुलह और निपटारे के लिए अनिवार्य मुकदमा-पूर्व व्यवस्था प्रदान की जा सके। यहाँ, यदि पक्षकार किसी समझौते पर पहुँचने में असफल भी होते हैं, तो भी स्थायी लोक अदालत को विवाद का निपटारा करने का अधिकार प्राप्त होता है, बशर्ते कि विवाद किसी अपराध से संबंधित न हो। इसके अलावा, स्थायी लोक अदालत का निर्णय अंतिम होता है और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होता है।
स्थायी लोक अदालतों का क्षेत्राधिकार एक करोड़ रुपये तक है। यदि पक्षकार किसी समझौते पर पहुँचने में विफल रहते हैं, तो स्थायी लोक अदालत को मामले का निर्णय करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
स्थायी लोक अदालत का निर्णय अंतिम होता है और पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है। लोक अदालत मामले की परिस्थितियों, पक्षकारों की इच्छाओं, जैसे मौखिक बयान सुनने का अनुरोध, विवाद का शीघ्र निपटारा आदि को ध्यान में रखते हुए, अपनी इच्छानुसार कार्यवाही कर सकती है।
| वर्ष | बैठकों की संख्या | निपटाए गए मामलों की कुल संख्या | निपटान राशि (रुपये में) |
|---|---|---|---|
| 2024 | 5037 | 4700 | 588925118 |
| 2023 | 4246 | 5881 | 536321705 |
| 2022 | 4158 | 4707 | 356083396 |
| 2021 | 2638 | 2931 | 180869082 |
| 2020 | 1544 | 1412 | 94113914 |
| 2019 | 4515 | 5249 | 312886412 |
| 2018 | 3670 | 4257 | 192996136 |